कितना ऋण बहुत ज़्यादा होता है
नववैवाहित साहू एक कामयाब, समझदार नौजवान है, जिसे सब प्यार से साहू जी बुलाते है, यहाँ तक कि बड़े भी उसे इसी नाम से पुकारते हैं। वो अपने मोहल्ले की तरक़्क़ी को अपनी ज़िम्मेदारी समझता हैऔर वहाँ के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसकी सलाह ली जाती है। लेकिन एक दिन, जब उसने किराने वाले से अपने बिल की राशि को खाते में चढ़ाने के लिए कहा तो उसने कहा की पहले पिछला हिसाब चुकता करो। ये सुनकर साहू को ग़ुस्सा तो आया, लेकिन उससे ज़्यादा उसे शर्मिंदगी महसूस हुई।
उसने कभी भी लम्बा उधार नहीं रखा, उसी महीने नहीं तो अगले महीने तो वो पैसे चुका ही देता था। फिर इस तरह की बेज़्ज़ती क्यूँ?
किरानेवाले को तो 2 महीने से ज़्यादा की देरी के पीछे की वजह भी मालूम थी। ये उसकी चार महीने पहले हुई शादी पर हुए ख़र्च की वजह से था। साहू को अपने रिश्तेदारों के भी कुछ उधार चुकाने थे और अपने क़र्ज़ को चुकाने के लिए उसे लोन भी लेना पड़ेगा। यहाँ तक कि, पिछले महीने ही उसने होम लोन और घर की साज सज्जा के लिए एक 1,50,000/- का कैश लोन लिया था। उसकी पत्नी को सैमसंग का एलईडी टीवी पसंद था और एक डबल डोर रेफ़्रिजरेटर भी, जो और 1,50,000 के लोन से आया।
किरानेवाले को तो एक नवविवाहित का दर्द समझना चाहिए। वो क्या सोच रहा था?
की वो भाग जाएगा? किरानेवाला साहू की चिंता को और बढ़ा रहा था।
ये क़र्ज़ का मायाजाल लगता है, लेकिन सवाल ये है- क्या वो इस से बच सकता था?
अरविंद: साहू का केस कोई अनोखा नहीं है। लोग हमेशा लोन लेते रहते हैं, कभी अपनी जीवनशैली बेहतर बनाने वाली चीज़ों के लिए तो कभी छोटी मोटी पैसों की तंगी के चलते। क्रेडिट कार्ड से किसी रेस्ट्रॉंट पर भुगतान करना भी एक तरह का उधार ही है, तुम अभी उधार पर खा रहे हो लेकिन बाद में चुकाओगे।
निशा: लेकिन लोग लोन लेते हैं ये अच्छी तरह जानते हुए कि एक ना एक दिन उन्हें वो चुकाना पढ़ेगा
अरविंद: लोन बुरी चीज़ नहीं है। लेकिन दिक़्क़तें तब आती हैं जब कोई एक सीमा नहीं बना पाता, या कुछ ख़र्चों को ना नहीं कह पाता और लोन पर लोन लिए जाता है। वो ज़रूरत से ज़्यादा उधार पर चीज़ें ख़रीद लेते हैं और उनकी देनदारी बढ़ती चली जाती है।
इसलिए सवाल उठता है की: कितना ऋण या उधार बहुत ज़्यादा होता है?
जैसे की कुछ अंदेशे हमें बताते हैं की हमारा ब्लड प्रेशर यानी की रक्तचाप बढ़ रहा है या घट रहा है, इसी तरह ‘3 डेट प्रेशर पोईंटर्स’ हैं जो आपको आपकी उधारी पर नज़र रखने में मदद करेंगे।
डेट प्रेशर पोईंटर 1- देनदार की नज़रों में कितना बहुत ज़्यादा है?
जब आप किसी बैंक या लोन कम्पनी से लोन की माँग करते हैं, तो लोन मैनेजर आपकी आय और चल रहे क़र्ज़ों के बारे में पता करेगा और लोन भुगतान का इतिहास देखेगा, ताकि वो डेट-टू-इंकम (डी टी आइ) रेशीओ। डी टी आइ आपको ये समझने में मदद करेगा की आप कितने पैसे अपनी आय के हिसाब से आराम से लोन ले सकते हैं।
- उधारी को अंग्रेज़ी में “ऋण” या “लोन” कहते हैं
जब आपका डीटीआइ 40% से नीचे होता है तो देनदार ठीक महसूस करता है। इसका मतलब है की जब आप अपनी पूरे महीने की सभी लोन भुगतानो को जोड़ेंगे- क्रेडिट कार्ड देय राशि, हाउस लोन ईएमआइ, कार लोन ईएमआइ- वो आपकी आय के 40% से ऊपर नहीं जानी चाहिए। तो, अगर आपकी मासिक आय 30,000 रुपए हैं, तो आपका समुचित मासिक लोन भुगतान 12,000 रुपए से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।
साहू: लेकिन मुझे तो हमेशा नए लोन लेने के लिए कॉल्ज़ आती रहती हैं। क्या मैं एक और लोन ले सकता हूँ अपने बढ़ते हुए ख़र्चों को सम्भालने के लिए?
अरविंद: नहीं, साहू। और लोन लेना जबकि तुम पहले वालों से ही जूझ रहे हो, ठीक नहीं होगा।
तुम्हारे जैसा सॉफ़्ट्वेर एंजिनियर जो की एक अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है, अच्छा कमाता होगा। मैं सलाह दूँगा की तुम एक बार फिर अपने पैसों को कैसे ख़र्च कर रहे हो इसका आकलन करो।
डेट प्रेशर पोईंटेर 2- जब आपका बजट बोले की ये बहुत ज़्यादा है!
एक और तरीक़ा जिससे आप ये जान सकते हो की आपने कुछ ज़्यादा ही उधार ले लिया है, अपना मन्थ्ली बजट बनाओ और ये देखो की तुम इन चार बड़े लक्ष्यों तक पहुँच सकते हो या नहीं:
• एक सुनहरे कल के लिए आज बचत करो- सब ख़्वाहिशें पूरी करो और चैन से रेटायअर हो
• हर महीने कुछ पैसा बुरे वक़्त के लिए बचाओ जैसे बीमारी, गाड़ी ख़राब होना, एकदम से ट्रैवल प्लान बन जाना, नौकरी चले जाना वगरह।
• बिना परेशानी के अपने बाक़ी लोनों की किश्तें जमा करना
• अपने महीने के सामन्य ख़र्च जैसे खाना, कपड़े, ज़रूरत का सामान वगरह
इसे ‘बजेटिंग रेशीओ’ कहते हैं, जिसका मतलब है घर आने वाली आमदनी को अलग अलग हिस्सों में बाँट लेना,
याद रहे, नीचे दिया गया ब्रेकप महज़ एक सुझाव है। आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से पैसों को बाँट सकते हैं। लेकिन, ये एक अच्छी शुरुआत हो सकती है:
- 15% बचाया दूरगामी लक्ष्यों या रेटायअर्मेंट कॉर्पस के लिए
- 15% बचाया थोड़े समय के निवेशों और आपातकाल फ़ंड के लिए
- 30% (ज़्यादा से ज़्यादा) घर के लिए। वैसे तो ये होम लोन की ईएमआइ के लिए होना चाहिए क्यूँकि उसका मतलब होता है एक पूँजी का निर्माण करना। अगर आप अपने ख़ुद के घर में रह रहे हैं, आप उस राशि को अपने रेटायअर्मेंट कॉर्पस और निवेशों में बाँट सकते हैं.
- 10% बाक़ी देनदारी जैसे क्रेडिट कार्ड, कार/बाइक लोन। चूँकि ऑटो लोन तो तय है, अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आपको देखना पड़ेगा।
- 30% बाक़ी सब ख़र्चों पर जैसे बिजली पानी का बिल और मनोरंजन
अगर तुम ये साधारण से अनुशासन का पालन कर लोगे, तो तुम्हारी ज़िन्दगी एक दम क़र्ज़ मुक्त हो जाएगी। अगर तुम्हें कभी भी ये लगता है की तुम्हारे क़र्ज़े तुम्हारे डीटीआइ को 40% से ज़्यादा ले जा रहे हैं तो वहीं रुक जाओ।
साहू: ये सब तो बहुत मुश्किल लगता है। लेकिन मुझे थोड़ा आर्थिक अनुशासन लाने की ज़रूरत तो है। जबतक मैं आधे महीने में पहुँचता हूँ, मुझे पता ही नहीं चलता की मेरा पैसा कहाँ ग़ायब हो गया।
अरविंद: असल में ये उतना मुश्किल भी नहीं है अगर तुम इसे महीने की शुरुआत में ही कर लो तो। अपने पैसे को अलग अलग हिस्सों में बाँट लो, जैसे ऊपर बताया है, और इसे अपनी आदत बना लो। जब तुम पैसा अलग कर लोगे बचत के लिए, महीने के ख़र्चों के लिए, और सब भुगतान करने के लिए, उसके बाद तुम बाक़ी की राशि जहाँ चाहो वहाँ ख़र्च कर सकते हो।
साहू: मुझे तो बस घर चलाने के लिए रोज़मर्रा के ख़र्चों की चिंता है। मुझे नहीं पता था की शादी करना इतनी चिंता देगा।
अरविंद: तुमने ध्यान नहीं दिया होगा लेकिन ये सूचक है कि ये सब तनाव क़र्ज़े का है, जो तीसरे प्रेशर पोईंटर का हिस्सा है।
डेट प्रेशर पोईंटर 3- जब क़र्ज़ों का तनाव कहे की ये बहुत ज़्यादा है
समय पर उधार ना चुका पाने से आपके व्यहवार में परिवर्तन और आर्थिक समस्याएँ आती हैं, जो आपके स्वास्थ्य और रिश्तों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। पढ़िए क़र्ज़े से जुड़ी कुछ आम समस्याएँ।
साहू, मैंने तुम्हें अपना आपा खोते हुए कभी नहीं देखा। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से हर बात को लेकर तुम बहुत ज़्यादा बेचैन से हो गए हो और अब मुस्कुराते भी नहीं। अगर तुम अपने आप में इन बदलावों को महसूस कर रहे हो, तो वक़्त आ गया है कि तुम अपने रिश्तों के साथ साथ अपने बुरे क्रेडिट इतिहास हो भी ठीक बनाओ।
तुम 3 छोटे क़दमों से शुरुआत कर सकते हो।
· जिन चीज़ों की तुम्हें ज़रूरत नहीं है कूच महीनों के लिए उन पर ख़र्चा बंद कर दो
· अपनी आमदनी को बढ़ाने के उपाय ढूँडो। अगर तुम्हारी पत्नी भी काम कर सकती है तो वो भी शुरू कर सकती हैं।
· अपनी मासिक आय से कूच पैसा हर बार आपात स्थिति के लिए अलग निकालो
अपने उधारों पर नज़र रखो और अगर तुम्हें ऊपर दिया गया कोई भी सूचक नज़र आता है, तो अपने डीटीआइ रेशीओ को नीचे लाने की कोशिश करो ताकि तुम्हारा हिसाब किताब ना बिगड़े।
उधार लेने का निर्णय लेने से पहले देखिए क्या आप जानते हैं आपके लिए कौन सा लोन सही है?
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